अब गैस के बर्नर की अनयूज्‍ड फायर से होगा मोबाइल चार्ज, स्‍कूली छात्र ने ईजाद की तकनीक


बर्नर से निकलती आग का उपयोग अब खाना बनाने के अलावा मोबाइल चार्ज करने में भी हो सकेगा। लखनऊ के छात्र प्रांजल ने इस तकनीक को विकसित किया है।


गैस चूल्हे पर खाना पकाते वक्त बर्नर की आंच बर्तन को गर्म करती है, लेकिन काफी मात्र में यह बर्तन के इर्द-गिर्द यूं ही व्यर्थ हो जाती है। या कह सकते हैं कि इस आंच का पूरी तरह उपयोग नहीं हो पाता। उत्तर प्रदेश के लखनऊ के एक स्कूली छात्र ने आंच का शतप्रतिशत सदुपयोग करने वाला उपकरण विकसित कर दिखाया है। इसके जरिये बची ऊर्जा से मोबाइल भी चार्ज किया जा सकता है। इस शोध को अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा गया है। नेशनल इंस्पायर अवार्डस मानक में भी यह आविष्कार पुरस्कृत हुआ है।










'एनर्जी अर्नर


दरअसल, लखनऊ के होनहार छात्र प्रांजल श्रीवास्तव ने 'एनर्जी अर्नर' नामक थर्मो इलेक्टिक स्टोव जेनरेटर तैयार किया है। यह उपकरण बर्नर की आंच को बिलकुल भी बर्बाद नहीं होने देगा। इस मॉडल ने हालही एशियन इंडिया ग्रासरूट्स इनोवेशन फोरम में पहला पुरस्कार जीता है। लखनऊ के जीडी गोयंका पब्लिक स्कूल के छात्र प्रांजल यह पुरस्कार जीतकर फिलीपींस से लौटे हैं। उन्होंने दैनिक जागरण से कहा, दरअसल यह उपकरण खाना पकाने के दौरान बर्बाद होने वाली आंच को संजोने का काम करता है और इसे इलेक्टिक एनर्जी में बदल देता है। अब वह इसका पेटेंट कराने की तैयारी में हैं।


 


ऐसे आया विचार


लखनऊ में तैनात फूड सेफ्टी ऑफिसर पिता शैलेंद्र श्रीवास्तव और गृहणी नीमा श्रीवास्तव के बेटे प्रांजल को इस आविष्कार की प्रेरणा तब मिली जब वह दो साल पहले अपने मऊ स्थित गांव ढड़वल गए थे। वहां अक्सर बिजली गुल रहती थी। महिलाएं खाना बनातीं तो बर्नर के किनारों से निकलती लौ का उजाला देख जेहन में इसके इस्तेमाल का खयाल आया। प्रांजल कहते हैं, 'आंच को संजोने की तरकीब तलाशने के लिए मैंने इंटरनेट के साथ ही स्कूल की लाइब्रेरी में काफी ढूंढ़ा। तब मुङो सीबैक थ्योरी का पता चला। मतलब यह कि अगर कोई धातु एक तरफ गर्म की जाए और दूसरी ओर ठंडी, तो इस प्रक्रिया में इलेक्ट्रॉन गर्म भाग से ठंडे भाग की ओर तेजी से बहते हैं। इनकी इस गति से बिजली पैदा होती है। मैंने इसी सिद्धांत पर अपना थर्मो इलेक्टिक स्टोव जेनरेटर तैयार कर डाला।'


400 रुपये में किया तैयार 


प्रांजल श्रीवास्तव बताते हैं, 'मैंने 250 रुपये कीमत वाले पांच पेल्टियर मॉड्यूल ऑनलाइन ऑर्डर देकर मंगाए। कंप्यूटर की खराब पड़ी सीपीयू (सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट) से इतनी ही एल्युमिनियम हीट सिंक्स निकालीं। इसे बर्नर पर फिट होने वाले लोहे के ढांचे पर सेट किया। फिर ग्लॉस वूल से कवर्ड तार के जरिये इन्हें सुपर कैपिसिटर से जोड़ दिया। सुपर कैपिसिटर में स्टोर एनर्जी को बक बूस्टर से जोड़कर यूएसबी पोर्ट के सहारे मोबाइल चार्ज करने या एलईडी लाइट जलाने लायक बना दिया। इसमें महज 400 रुपये की लागत आई।










Popular posts
विवाह के मुहूर्त खत्म:14 जनवरी तक मलमास और गुरु-शुक्र के अस्त रहने से विवाह नहीं होंगे, अब 131 दिन बाद बजेगी शहनाई
आज की पॉजिटिव खबर:मल्टीनेशनल कंपनी की नौकरी छोड़, गांव में नींबू की खेती शुरू की, सालाना 6 लाख रु हो रही है कमाई
महाराष्ट्र / सबसे बड़ी पार्टी के बावजूद भाजपा सरकार नहीं बना पा रही, साफ है वे बहुमत नहीं जुटा पा रहे: राउत
Image
कोरोना:6 हजार कर्मचारियों को लगेगी वैक्सीन, 53 आईएलआर और 23 कोल्ड चेन में होगा वैक्सीन का रखरखाव
वैक्सीन पर हिदायत:वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स के लिए तैयार रहें राज्य, स्टोरेज के लिए 29 हजार कोल्ड चेन पॉइंट्स बनाए गए