बढ़ सकती है आपकी टेक होम सैलरी, सरकार बदलने जा रही है नियम, करोड़ों लोगों को फायदा


केंद्र सरकार की योजना कारगर हुई तो करोड़ों लोगों की हर महीने हाथ में आने वाली यानी टेक होम सैलरी बढ़कर आएगी. असल में सरकार कर्मचारियों के भविष्य निधि (PF) योगदान को घटाने और टेक होम वाला हिस्सा बढ़ाने के विकल्प पर विचार कर रही है और इसके लिए सोशल सिक्योरिटी बिल में प्रावधान किया गया है. 


फिलहाल कर्मचारियों के बेसिक सैलरी का 12 फीसदी हिस्सा पीएफ के रूप में काटा जाता है. इसी तरह नियोक्ता की तरफ से भी बेसिक सैलरी के 12 फीसदी के बराबर ही रकम ईपीएफओ में जमा होती है, लेकिन इस रकम का 8.33 फीसदी ईपीएस यानी कर्मचारी पेंशन योजना में चला जाता है. अब सोशल सिक्योरिटी बिल, 2019 में कर्मचारियों वाले हिस्से को घटाने का प्रस्ताव किया गया है और इसे कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है. यह बिल इसी हफ्ते संसद में पेश किया जा सकता है.


पीएफ योगदान में कटौती के पीछे एक तर्क यह है कि ज्यादा टेक होम सैलरी देने का मतलब है कि लोगों के पास ज्यादा पैसा होगा और इस तरह से खपत बढ़ेगी. हालांकि बिल के मुताबिक एम्प्लॉयर यानी नियोक्ता वाले पीएफ हिस्से में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा.


इसी तरह बिल में कहा गया है कि फिक्स्ड टर्म कॉन्ट्रैक्ट वर्कर भी प्रो रेटा आधार पर ग्रेच्युटी हासिल करने के पात्र हो जाएंगे. अभी के नियम के मुताबिक जो कर्मचारी किसी कंपनी-संगठन में पांच साल तक नौकरी करते हैं, वे ही ग्रेच्युटी हासिल करने के अधिकारी होते हैं.


इसके अलावा श्रम मंत्रालय ने अपने उस प्रस्ताव को भी वापस ले रहा है, जिसमें कहा गया था कि ईपीएफओ से जुड़े लोगों को नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) को अपनाने का विकल्प दिया जाए. मंत्रालय का कहना है कि अभी की व्यवस्था में ज्यादा रिटर्न मिल रहा है और कई अन्य फायदे मिल रहे हैं. इसके अलावा श्रम मंत्रालय ने इस प्रस्ताव को भी खारिज कर दिया है कि ईपीएफओ और ईएसआईसी को कॉरपोरेट कंपनी की तरह तरह चलाया जाए.


इसके अलावा बिल के मुताबिक कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी के तहत उपलब्ध फंड के तहत एक सोशल सिक्योरिटी फंड बनाया जाएगा, जिससे सभी कर्मचारियों को पेंशन, मेडिकल कवर, डेथ और विकलांगता जैसे लाभ दिए जाएंगे.


बिल में कहा गया है कि 10 या उससे ज्यादा की कर्मचारी संख्या वाले सभी प्रतिष्ठानों को अपने कर्मचारियों को ईएसआईसी के तहत कई तरह की सुविधाएं देनी होगी.


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