बीते कुछ महीनों में मोदी सरकार ने सुस्त इकोनॉमी को बूस्ट देने के लिए कई बड़े फैसले लिए हैं. मसलन, कॉरपोरेट टैक्स में कटौती की गई तो वहीं बैंकों के विलय का ऐलान किया गया. इसी तरह हर जिले में मेला लगाकर लोन बांटे गए. सरकार के इन तमाम प्रयासों के बावजूद उम्मीद के मुताबिक नतीजे नहीं दिख रहे हैं. हालांकि सरकार आने वाले दिनों में एक बार फिर कुछ अहम फैसले ले सकती है.
दरअसल, केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि सरकार सुस्त पड़ती अर्थव्यवस्था को सहारा देने के लिए कुछ अन्य उपायों पर काम कर रही है. उन्होंने एक मीडिया कार्यक्रम में कहा कि सरकार ने अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए अगस्त और सितंबर के दौरान कई उपाय किये हैं. निर्मला सीतारमण के मुताबिक सरकारी बैंकों ने उपभोग को बढ़ावा देने के लिए पिछले दो महीने में करीब 5 लाख करोड़ रुपये वितरित किए हैं.
सीतारमण ने कहा, ''ये तरीके हैं जिनसे उपभोग को बढ़ावा दिया जा सकता है. हम एक प्रत्यक्ष तरीका अपना रहे हैं और बुनियादी संरचना पर खर्च करने का तरीका भी अपना रहे हैं.'' यह पूछे जाने पर कि क्या आर्थिक गतिविधियों में तेजी लाने के अन्य उपाय किये जा सकते हैं, उन्होंने कहा कि सरकार इस पर काम कर रही है. सीतारमण ने गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) के बारे में कहा कि टैक्स की संरचना के बारे में जीएसटी काउंसिल निर्णय लेगी. सीतारमण ने साथ ही यह भी कहा कि टैक्स को और तार्किक होना ही है. ऐसे में यह संभव है कि आने वाले दिनों में जीएसटी स्लैब में कटौती की जाए.
निर्मला सीतारमण का यह बयान ऐसे समय में आया है जब देश आर्थिक सुस्ती के दौर से गुजर रहा है. हाल ही में दूसरी तिमाही के जीडीपी आंकड़ों से पता चलता है कि ग्रोथ रेट में लगातार गिरावट आई है. चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 4.5 फीसदी की दर से बढ़ा है जबकि पहली तिमाही में यह आंकड़ा 5 फीसदी था.