करीब 80 हजार कंपनियों ने 9 लाख कर्मचारियों के नाम पर कर्मचारियों को भविष्य निधि (PF) से जोड़ने की एक सरकारी प्रोत्साहन योजना में जालसाजी की है. उन्होंने प्रधानमंत्री रोजगार प्रोत्साहन योजना (PMRPY) का फर्जी तरीके से फायदा उठाकर सरकार को 300 करोड़ रुपये का चूना लगाया है.
यह प्रोत्साहन योजना मोदी सरकार ने इसलिए चलाई है ताकि नए कर्मचारियों को पीएफ से जोड़कर उन्हें औपचारिक अर्थव्यवस्था का हिस्सा बनाया जाए. असल में रोजगार के मोर्चे पर लगातार विपक्ष की आलोचना का सामना कर रही सरकार ने इस बात पर जोर दिया है कि ज्यादा से ज्यादा कर्मचारियों को पीएफ से जोड़ा जाए.
बिजनेस स्टैंडर्ड की एक खबर के अनुसार, इन कंपनियों ने सरकार की प्रोत्साहन योजना का फायदा उठाकर पैसा बनाया है. PMRPY योजना के द्वारा नियोक्ताओं को इस बात के लिए प्रोत्साहित किया जाता है कि वे नए कर्मचारियों को नौकरी देने के बाद उनका रजिस्ट्रेशन कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) में करें और इसके लिए सरकार कर्मचारी पेंशन योजना (EPS) और कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) में बड़ा योगदान अपनी तरफ से करती है.
इसके तहत सरकार हर नई नौकरी में नियोक्ता द्वारा दिए गए EPS योगदान का 8.33 फीसदी हिस्सा सरकार देती है. इस योजना के द्वारा सरकार रोजगार के आंकड़े बढ़ाने की कोशिश करती रही है. इसका एक फायदा यह भी है कि इससे बड़ी संख्या में कामगार औपचारिक क्षेत्र से जुड़कर सरकार की सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का फायदा उठाते हैं.
हालांकि इस ठगी का खुलासा होने के तत्काल बाद कार्रवाई की गई और सरकार ने ईपीएफओ के द्वारा इसमें से 222 करोड़ रुपये वसूल लिए हैं. यह वसूली 9 लाख ऐसे कर्मचारियों के पीएफ खातों को ब्लॉक कर की गई है. इस योजना की शुरुआत अगस्त 2016 में की गई थी और इसके तहत उन कर्मचारियों को ही जोड़ा जाता है जिन्हें 1 अप्रैल, 2016 के बाद नौकरी दी गई हो.
खबर के अनुसार,80,000 कंपनियों ने करीब 8,98,576 कर्मचारियों को नया बताकर 16 जुलाई, 2019 तक इस योजना का फायदा लिया, जबकि इन कंपनियों को पहले भी पीएफ खाता था, यानी वे पुराने कर्मचारी थे. EPF से जुड़े कुल 1.2 करोड़ कर्मचारियों में से करीब 7 फीसदी कर्मचारियों के नाम पर गलत तरीके से यह फायदा लिया गया.