25 साल बाद बने भोपाल के मास्टर प्लान को मुख्यमंत्री की मंजूरी; उपनगरीय क्षेत्र विकसित करने पर जोर रहेगा


भोपाल. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने 25 साल बाद तैयार किए गए भोपाल के मास्टर प्लान को हरी झंडी दे दी है। शनिवार को हुई मीटिंग में चर्चा के बाद कमलनाथ ने प्लान को मंजूरी दी। मुख्यमंत्री की मंजूरी मिलने के नगरीय प्रशासन मंत्री जयवर्धन सिंह एक सप्ताह के अंदर मास्टर प्लान को प्रकाशित कराया जाएगा। इसके बाद एक महीने तक दावे आपत्ति बुलाए जाएंगे। ये प्लान 2031 तक के लिए बनाया गया है। इसके पहले 1995 में मास्टर प्लान बना था, तब भी कांग्रेस की दिग्विजय सरकार थी और 25 साल बाद फिर से जब मास्टर प्लान को मंजूरी मिली है, तब भी कांग्रेस की सरकार है। 


राजधानी भोपाल के मास्टर प्लान का खाका बनकर तैयार हो गया है। इसमें राजधानी के सीमावर्ती क्षेत्रों और उपनगरों के विकास पर जोर दिया गया है। जिसका मुख्यमंत्री कमलनाथ की मौजूदगी में प्रजेंटेशन किया गया है। बैठक में मंत्री जयवर्धन सिंह ने भोपाल का मास्टर प्लान पेश किया।


शनिवार को मास्टर प्लान की मीटिंग शुरू होने से पहले पत्रकारों से बातचीत में मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि बढ़ती हुई आबादी भोपाल के लिए बोझ है। इसे ढोने के लिए शहर के पास क्या क्षमता है। मास्टर प्लान इस पर आधारित होगा। शहर के विकास की रूपरेखा भी इसी आधार पर तय की जाएगी। आवास 2 फ्लोर से 3 फ्लोर के बना दें, यह पुरानी बात है। हमें भोपाल और देश के बड़े शहरों को सुरक्षित रखना है, इसलिए जरूरी है कि हम शहरीकरण के साथ ही उपनगरीयता की बात करें। 


नगरीय प्रशासन मंत्री जयवर्धन सिंह ने कहा कि जिस तरह तेज गति से भोपाल शहर की वृद्धि हुई है, इसलिए अब ज़रूरी है भोपाल के लिए व्यवस्थित मास्टर प्लान बनाया जाए। आखिरी मास्टर प्लान 1995 में बना था, उस समय प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी, उसे 2005 तक के लिए बनाया गया था। मास्टर प्लान बनाने के भाजपा सरकार को दो बार अवसर मिला, लेकिन वह नहीं बना पाए। कांग्रेस की सरकार बनी तो हमने भोपाल का मास्टर प्लान का बनाने का संकल्प लिया था। मास्टर प्लान में आसपास के गांवों को जोड़ने की योजना है। इसे 2031 को ध्यान मे रखते हुए तैयार किया जा रहा है। 


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