चीन में फैले कोरोनावायरस का असर मध्यप्रदेश के दवा निर्माण उद्योग पर पड़ रहा है। एमपी सहित भारत की दवा बनाने वाली कंपनियां कच्चा माल (रसायन) चीन से मंगाती हैं। इनसे सर्दी-खांसी से लेकर डायबटीज, कैंसर जैसी बीमारियों की दवाई बनाई जाती है। मध्यप्रदेश में दवा बनाने की करीब 300 कंपनियां हैं, जिसमें इंटरमीडिएट्स (कच्चा माल) लगभग खत्म होने की कगार पर है। भारत के बड़े आयतकों के पास बेसिक रसायनों का जो थोड़ा बहुत स्टॉक है, उसकी कीमतें 30 फीसदी तक बढ़ गई है। दवा निर्माताओं का कहना है कि यदि जल्द ही हालात नहीं सुधरे तो घरेलू बाजार में आवश्यक दवाओं की कमी पड़ सकती है।
मप्र में दवा निर्माण से जुड़ी छोटी-बड़ी लगभग 300 कंपनियां इंदौर, पीथमपुर, देवास, मंडीद्वीप, रतलाम, ग्वालियर आदि स्थानों पर है। इनमें से इंदौर के आसपास सबसे अधिक लगभग 150 दवा निर्माता कंपनियां है। इन दवा निर्माता कंपनियों द्वारा 90 फीसदी कच्चा माल चीन से आयात किया जाता है। चीन में कोरोनावायरस के चलते भारत सरकार ने भी चीन से आने वाली लगभग सभी वस्तुओं पर फिलहाल रोक लगा दी है। इसके चलते फार्मा सेक्टर के सामने समस्या खड़ी हो गई है।
मध्यप्रदेश में मुख्य रूप से पैरासिटामॉल, नॉरफ्लोक्सिन, ओफ्लॉक्सोसिन, प्रीडनी सोलन, डेग्जा और सभी तरह के विटामिन का 100 करोड़ रुपए का कच्चा माल चीन से हर महीने आता है। चीन के अलावा यूरोप व अमेरिका से कच्चा माल मंगवाया जा सकता है, लेकिन उसकी लागत चीन के मुकाबले दो से पांच गुना पड़ेगी। विश्व में दवा निर्माण के लिए लगने वाले कच्चे माल का चीन सबसे बड़ा निर्यातक है। उसकी हिस्सेदारी करीब 70 फीसदी से अधिक है। अन्य देश संपूर्ण विश्व की मांग का लगभग 30 फीसदी ही निर्यात करतें है, इसके चलते वहां से भी ऑर्डर पूरा होगा इसकी गारंटी नहीं है।
पीथमपुर औद्योगिक संगठन के संयुक्त अध्यक्ष और लघु उद्योग दवा निर्माता संघ के एग्जीक्यूटिव सदस्य डॉक्टर दर्शन कटारिया ने बताया- चीन से कच्चे माल के आयत का प्रमुख केंद्र वुहान की राजधानी हुबेई है और उसी क्षेत्र में कोरोनावायरस का सबसे अधिक असर है। वुहान क्षेत्र के 17 जिलों से आयात पूरी तरह से बंद है। भारत के बड़े आयातकों द्वारा फिलहाल कोई नया ऑर्डर नहीं लिया जा रहा है। इससे घरेलू दवा निर्माता कंपनियों के समक्ष कच्चे माल की कमी पैदा हो गई है।
पीथमपुर औद्योगिक संगठन के अध्यक्ष डॉक्टर गौतम कोठारी का कहना है- दवा निर्माता कंपनी अपने यहां कच्चे माल का ज्यादा स्टॉक नहीं रखते हैं। चीन से आयात बंद होने से अब यह स्टॉक लगभग समाप्त होने वाला है। विंदास केमिकल्स लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर दर्शन कटारिया ने बताया- अगर स्थितियां तुरंत ठीक हो जाएं और यदि कोई आज चीन से कच्चा माल मंगवाए तो उसे फैक्टरी तक पहुंचने में दो से तीन महीने लग जाएंगे। मतलब तीन महीने तक कच्चे माल की कमी बनी रहना तय है। कारोना संकट बना रहा तो आने आवश्यक दवाओं की कमी होने लगेगी।