घायल बोला- भीड़ कह रही थी जैसे इनकी गाड़ियां जलाईं वैसे इन्हें भी जलाकर मार डालो


धार. मध्य प्रदेश में बच्चा चोरी के शक में भीड़ ने बुधवार को 5 किसानों और उनके ड्राइवर को लाठी-पत्थरों से बुरी तरह पीटा। इसमें एक की मौत हो गई, जबकि 5 लोगों की हालत गंभीर है। भीड़ ने किसानों की दो कारों में तोड़फोड़ की। घटना तिरला इलाके के खड़किया गांव की है। पीड़ित उज्जैन जिले के लिंबी पिपलिया गांव के रहने वाले हैं। 5 किसान मजदूरों से अपना एडवांस रुपया लेने गांव पहुंचे थे, जहां रुपए नहीं देने का मन बना चुके मजूदरों ने बच्चा चोरी की अफवाह फैला दी। इसके बाद सैकड़ों की भीड़ ने लाठी-पत्थरों से पीटा। उन्मादी भीड़ के चंगुल में किसान नरेंद्र भी फंस गए। नरेंद्र को इंदौर के एमवाय हॉस्पिटल में एडमिट कराय गया। इस पूरी घटना की कहानी, उन्हीं की जुबानी-


'हमने उज्जैन एवं तिरला थाना पर रिपोर्ट भी दर्ज करवाई थी। बाद में उन लाेगाें का फोन आया कि आप खड़किया आ जाओ यहीं अपना हिसाब कर लेंगे। हम 6 लोग दो गाड़ी लेकर बुधवार सुबह 7 बजे तिरला थाने पर पहुंचे। थाने पर बताया कि खड़किया के लोगों से पैसा लेना है और वे बुला रहे हैं। थाने से कहा विवाद मत करना आप चले जाओ। हम खड़किया पहुंचे तो गांव वालों ने पथराव कर दिया। हम जान बचाकर भागे। मोटरसाइकिल से लोग पीछा कर रहे थे। उन्होंने शायद आगे गांव में सूचना कर दी होगी जैसे हमारी गाड़ियां बोरलाय पहुंची लोगों ने रास्ता बंद कर रखा था। हमारी गाड़ियां देखकर उन्हाेंने हम पर हमला कर दिया। मैंने डायल 100 पर फोन लगाया। लोगों ने हमारे वाहन फोड़ दिए। बेहोश होने तक बुरी तरह पीटा, हमारी जेब से पैसा, मोबाइल, एटीएम निकाल लिए। डायल 100 से हमें मनावर के अस्पताल पहुंचाया,वहां से इंदौर भेजा गया।' (जैसा घायल ने मनावर प्रतिनिधि को बताया)


भीड़ से बचने के लिए जिस घर में घुसे थे युवक, उसके मालिक ने बताया-
'मैं गांव के बाहर था। घर से फोन आया बेटी चिल्ला रही थी, मारो-मारो की आवाज आ रही थी। मैं डर गया। तुरंत डायल 100 पर फोन लगाया और गांव पहुंचा। वहां देखा पूरे घर का सामान बिखरा हुआ था। दरवाजा टूटा हुआ था। बेटी और परिवार वाले सदमे में थे। पता चला कि तीन लोगों को गांव वाले मार रहे थे, जो बचने के लिए मेरे घर में घुसे थे। उन्हें बाहर निकाल पीटते रहे।' (जैसा ग्रामीण सतीश जायसवाल ने मनावर प्रतिनिधि को बताया)


वीडियो में बर्बरता की पराकाष्ठा, गाड़ियों की बैटरी तक चुरा कर ले गए
घटना के जो वीडियो वायरल हो रहे हैं। उनमें भीड़ की बर्बरता की पराकाष्ठा नजर आ रही थी। इसमें न कोई बचाने वाला, न कोई सुनने वाला था। जो आता वह लात घुसे लाठी से पिटाई करता। खून से सने हुए गंभीर घायल एक कोने में पड़े हैं। लोग फिर भी उन्हें लात घुसे मारते हुए गालियां बक रहे हैं लेकिन कोई भी यह जानने को तैयार नहीं कि आखिर यह किसके बच्चे चुरा के ले जा रहे हैं। बाद में उनके वाहनों को ढकेल कर गांव से बाहर ले गए तथा उन्हें आग के हवाले कर दिया। कुछ लोग गाड़ियों की बेटरियां ले जाते हुए दिखाई दिए। तो कुछ लोग गाड़ी की टेप निकालने का प्रयास कर रहे थे।


पुलिस पर सवाल? टीआई वक्त पर एक्शन लेते तो नहीं जाती जान
घायलों ने बताया कि जब वे रुपए लेने जा रहे थे, उसके पहले पुलिस को सूचना दी थी और बताया भी था कि वहां खतरा हो सकता है। बावजूद किसी ने ध्यान नहीं दिया। उल्टा उन्हें ही कहा कि वहां विवाद मत करना। जब किसान वहां पहुंचे और बाद में हमला हुआ, तो इसकी भी सूचना पुलिस को की गई, लेकिन मात्र 1 एसआई और 2 जवान वहां भेजे गए। यानी 500 से ज्यादा लोगों पर मात्र 3 पुलिसकर्मी। ये तो थाना प्रभारी और पुलिस की भारी लापरवाही है। थाना प्रभारी युवराज सिंह चौहान अब घटना को तिरला थाना क्षेत्र की बता रहे हैं। जबकि लिंचिंग और फिर हत्या मनावर थाना क्षेत्र की है।


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