इंदौर में कोराेना के 32 मरीज भर्ती हैं। इनमें 27 इंदौर और 5 उज्जैन से हैं। शहर को हाईरिस्क कैटेगरी में रखा गया है। कोरोना की चेन तोड़ने के लिए प्रशासन ने पूरा जोर लगाना शुरू कर दिया। रानीपुरा, खजराना, चंदन नगर समेत 6 इलाके पूरी तरह से सील हैं। जो जहां है, वहीं रहेगा। सबसे ज्यादा इन्हीं इलाकों में संक्रमित मिले। सोमवार को टोटल लॉकडाउन से पेट्रोल, दूध, सब्जी, किराना, दवा समेत सभी जरूरी सामानों की दुकानों पर ताला लग गए। पुलिस सड़कों पर दिखने वाले लोगों की डंडों से पिटाई कर रही है। हालात यह हैं कि मोहल्लों में पुलिस का सायरन सुनते ही बाहर झांक रहे लोग अंदर घुस जाते हैं। सुबह से दूध को लेकर लोगों को परेशानी हुई। यहां लोगों का कहना था कि हमें पता नहीं था कि दूध भी मिलना बंद हो जाएगा। इलाके में एक महिला 2 साल की बच्ची को लेकर दूध के लिए भटकती देखी गई। शहर के हालातों को जानने के लिए दैनिक भास्कर के 8 रिपोर्टर अलग-अलग जगहों पर पहुंचे। इन्होंने शहर में प्रशासन की सख्ती और लोगों की समस्याओं को जाना।
टोटल लॉकडाउन में इन तीनों इलाकों में सुबह 7 बजे कुछ किराना और दूध की दुकानें खुल गईं। जब पुलिस को पता चला तो अनाउंसमेंट करके बंद करवाया। हालांकि उसके बाद भी दोपहर तक सड़कों पर लोगों का आना-जाना रहा। सुबह कॉलोनी में निगम की जब कचरा गाड़ी आई तो वो माइक से बोला गया कि आज से नई व्यवस्था लागू हो गई है। इसमें हेल्पर कचरा नहीं डालेंगे। रहवासियों को ही अपना कचरा खुद गाड़ी में डालना होगा। यह सुनकर सब हैरान रह गए। उन्होंने निगम के कर्मचारियों से इसको लेकर सवाल भी किए। कर्मचारियों का कहना था कि हमें जो आदेश मिले हैं, उसका पालन कर रहे हैं। ये भी अनाउंसमेंट किया कि कोई भी रहवासी कचरा डालने के दौरान मास्क पहनकर ही बाहर आएं। वरना कचरा नहीं डालने दिया जाएगा। कर्मचारियों ने कई बार लोगों को मास्क पहनने को लेकर समझाइश भी दी। जो लोग सड़क पर घूमते दिखे उन लोगों को वापस घर लौटने काे कहा। कचरा वाहन से यह भी अनाउंसमेंट किया जा रहा था कि शहर में धारा 144 लागू है। ऐसे में कोई भी व्यक्ति घर से बाहर नहीं निकले, वरना नियमानुसार कार्रवाई होगी।