कोरोना की स्क्रीनिंग में इंदौर बुरी तरह पिछड़ गया है। हॉट स्पॉट बने शहरों ने स्क्रीनिंग और सैंपल टेस्ट की रणनीति अपनाकर महामारी को काबू में किया, पर इंदौर में स्थिति बिगड़ने की एक वजह इसमें लापरवाही भी रही। इंदौर में कंटेनमेंट एरिया की संख्या ही 125 है, जिसमें केवल 25 फीसदी लोगों की ही स्क्रीनिंग हो पाई है। इसके उलट जिस भोपाल में मरीज बाद में मिलना शुरू हुए, वहां स्क्रीनिंग की रफ्तार बहुत तेज है। जहांगीराबाद जैसे इलाके में एक दिन में 900 सैंपल लिए गए। 415 लोग सर्दी-खांसी वाले मिले, उन्हें आइसोलेट कर दिया।
यहां 24 हजार से अधिक सैंपल ले चुके हैं। धारावी में मरीज मिलने के बाद करीब साढ़े सात लाख लोगों की स्क्रीनिंग हो रही है। 50 हजार से ज्यादा होम क्वारेंटाइन तो 4 हजार क्वारेंटाइन सेंटर में हैं। हर एक किमी पर हेल्थ सेंटर बनाकर लोगों में लक्षणों की जांच हो रही है।
सबसे पहले कंटेनमेंट एरिया बनाकर स्क्रीनिंग की। 700 टीमों ने 9 दिन में साढ़े दस लाख से ज्यादा की स्क्रीनिंग कर संदिग्धों को आइसोलेट किया। मरीजों के मोबाइल नंबर से हिस्ट्री निकालकर नए मरीज ढूंढ रहे। एक दिन में अब 2 हजार तक सैंपल ले रहे हैं।
मार्च में देश में तीसरे नंबर का शहर अब टॉप 10 में भी नहीं है। हर वार्ड में कम्युनिटी पुलिसमैन बनाए और सभी को होम क्वारेंटाइन किया। ये पुलिसमैन 24 घंटे नजर रख रहे, ताकि कोई भी बाहर नहीं आए। ट्रैवल हिस्ट्री लेकर सभी को क्वारेंटाइन कर दिया।