प्रदेश में इंदौर संभवत: ऐसा पहला शहर है, जहां आम लोग अपना एंटीबॉडी टेस्ट करवा सकेंगे। आईसीएमआर से अनुमति मिलने के बाद अरबिंदो मेडिकल कॉलेज में इस टेस्ट को शुरू किया गया है। पहले उन लोगों का टेस्ट किया जाएगा जो कोविड पॉजिटिव मरीजों के मध्य काम कर रहे हैं। इस टेस्ट से पता लग सकेगा कि संबंधित व्यक्ति को कोरोना है या नहीं अथवा पूर्व में कभी हुआ था या नहीं।
अरबिंदो मेडिकल कॉलेज के डायरेक्टर डॉक्टर विनोद भंडारी के अनुसार, यह फोर्थ जनरेशन स्टैंडर्ड टेस्ट है। इस टेस्ट के लिए आईसीएमआर से अनुमति मिली है। इस टेस्ट से परिणाम का पता मात्र 3 घंटे में चल जाता है। फिलहाल दो डॉक्टरों पर यह टेस्ट किया गया है।
इंदौर में अब तक 60 हजार से ज्यादा लोगों की कोरोना की जांच की जा चुकी है, लेकिन मरीजों को उनकी रिपोर्ट का स्टेटस पता नहीं चल पा रहा है। मौजूदा व्यवस्था के तहत यदि किसी मरीज की रिपोर्ट पॉजिटिव आती है तो थाने से फोन पहुंचता है। प्रशासन की टीम फोन कर परिवार को सूचना दे देती है कि उनके मरीज की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव है। हम जांच के लिए पहुंच रहे हैं। उन्हें रिपोर्ट संबंधी दस्तावेज नहीं दिए जा रहे हैं।
यही स्थिति निगेटिव आने वाले मरीजों की भी है। जिन मरीजों की जांच रिपोर्ट निगेटिव आती है, वे भी परेशान हैं। मरीज के परिजन एमजीएम मेडिकल कॉलेज, स्वास्थ्य विभाग या फिर जिस अस्पताल में मरीज भर्ती होता है, वहां के चक्कर लगाते हैं। फील्ड से भी सैंपल लिए जा रहे हैं। यदि उनकी रिपोर्ट निगेटिव आती है तो उन्हें भी इसकी सूचना नहीं मिल पा रही है। इस बारे में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एमपी शर्मा का कहना है कि मैन पावर की कमी के कारण इसमें देरी हो रही है। हमने तय किया था कि वाॅट्सएप के माध्यम से मरीजों को रिपोर्ट की सूचना दी जाएगी। ऐसा करने में थोड़ा समय लगेगा।