अब प्राॅपर्टी खरीदने के तीन महीने के भीतर इसका नामांतरण नगर निगम में कराना होगा, वर्ना देरी पर पेनाल्टी चुकानी होगी। यह प्रावधान इस महीने के अंत में पेश हाेने वाले नगर निगम बजट 2020-21 में शामिल किया जा रहा है। नामांतरण के लिए तीन माह की अवधि तय की जा रही है। तीन महीने तक कोई पेनाल्टी नहीं देना होगी। इसके बाद छह महीने के भीतर नामांतरण नहीं कराने पर 10 प्रतिशत और अधिक देरी होने पर 15 प्रतिशत पेनाल्टी चुकानी होगी। अब तक नामांतरण के लिए 2500 रुपए फीस तय है और इसकी कोई समयसीमा भी तय नहीं थी।
आम तौर पर प्राॅपर्टी की रजिस्ट्री कराने के बाद नगर निगम में संपत्ति कर और जलदर के खाते में नामांतरण की तरफ ज्यादातर लोग ध्यान नहीं देते हैं। बरसों तक संपत्ति कर और पानी के बिल पुराने मालिक के ही नाम आते रहते हैं। कई बार एक ही प्राॅपर्टी तीन से चार बार बिक जाती है और निगम को किसी एक का ही शुल्क मिल पाता है। फिलहाल शहर में हर साल बमुश्किल 20 हजार नामांतरण होते हैं। पिछले दिनों कमिश्नर वीएस चौधरी कोलसानी ने राजस्व विभाग की समीक्षा की और इस गड़बड़ी को पकड़ा। इसके बाद उन्होंने नामांतरण न कराने पर पेनाल्टी का प्रस्ताव तैयार किया है। इसे बजट में शामिल किया जा रहा है।