देश में कोरोना वायरस का कहर लगातार बढ़ता जा रहा है. कोरोना वायरस के खात्मे के लिए कई देश वैक्सीन को तैयार करने में लगे हुए हैं. इस बीच भारत भी कोरोना वायरस की वैक्सीन का निर्माण कर रहा है, जिसकी इस साल अगस्त में लॉन्च होने की संभावना है. हालांकि इस वैक्सीन को इतना जल्दी लॉन्च करने पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं.
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) के महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा है कि महामारी को रोकने के लिए वैक्सीन सबसे निर्णायक होगी. विश्व एक सुरक्षित वैक्सीन का इंतजार कर रहा है, जो दुनियाभर में उपलब्ध हो. येचुरी ने कहा है कि आईसीएमआर ने उन संस्थानों का चयन कैसे किया है जो ट्रायल करेंगे? उनमें से तीन निजी संस्थान हैं, जिनमें एक निजी व्यवसायी भी है, जिसका कोई संस्थागत पता नहीं है.
येचुरी ने कहा है कि वैज्ञानिक अनुसंधान 'मेड टू ऑर्डर' नहीं किया जा सकता. कोविड-19 के इलाज में एक स्वदेशी वैक्सीन बनाने के लिए सभी स्वास्थ्य और सुरक्षा मानदंडों को दरकिनार करते हुए दबाव बनाया जा रहा है, ताकि स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी इसकी घोषणा कर सकें. ऐसे में मानव जीव को भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है.
सीताराम येचुरी ने सवाल किया है कि इस ट्रायल में अध्ययन किए जाने वाले लोगों की संख्या क्या है? क्या चरण 1, 2 और 3 का परीक्षण 14 अगस्त तक पूरा हो जाएगा और इसका विश्लेषण किया जाएगा? स्वतंत्र डाटा सुरक्षा निगरानी समिति (DSMC) के सदस्य कौन हैं?
येचुरी ने आईसीएमआर पर संस्थाओं को अपने मुताबिक काम करने के लिए धमकाने का आरोप लगाया है. साथ ही कहा है कि हैदराबाद में निम्स जैसे कुछ संस्थान राज्य सरकार के संस्थान हैं. क्या तेलंगाना सरकार के जरिए अनुमति दी गई है? कुछ गंभीर सवालों के जवाब दिए जाने की जरूरत है.
बता दें कि कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच 15 अगस्त को कोरोना की वैक्सीन कोवैक्सीन (COVAXIN) लॉन्च हो सकती है. इस वैक्सीन को फार्मास्यूटिकल कंपनी भारत बायोटेक ने तैयार किया है. भारत बायोटेक और आईसीएमआर की तरफ से वैक्सीन लॉन्चिंग संभव है.
हाल ही में कोवैक्सीन को ह्यूमन ट्रायल की इजाजत मिली है. आईसीएमआर की ओर से जारी लेटर के मुताबिक 7 जुलाई से ह्यूमन ट्रायल के लिए इनरोलमेंट शुरू हो जाएगा. इसके बाद अगर सभी ट्रायल सही हुए थे तो आशा है कि 15 अगस्त तक कोवैक्सीन को लॉन्च किया जा सकता है.