भारत में चल रहे चीन विरोधी माहौल और चीनी माल के बहिष्कार अभियानों का चीनी कंपनी Vivo पर कोई असर नहीं पड़ा है. Vivo इंडिया ने अपने ग्रेटर नोएडा के कारखाने की क्षमता बढ़ाने के लिए 7500 करोड़ रुपये के निवेश का ऐलान किया है.
कंपनी ने इस कारखाने की क्षमता बढ़ाकर यहां से सालाना 12 करोड़ फोन के उत्पादन, देश में एक डिजाइन सेंटर की स्थापना और अगले एक साल में लोकल सोर्स से माल 15 से 40 फीसदी लेने की योजना बनाई है.
गौरतलब है कि Vivo ब्रांड और Vivo इंडिया कंपनी चीन के ग्वांगझू में स्थित BBK इलेक्ट्रॉनिक्स समूह के तहत आते हैं. इस समूह के भारत में कई अन्य लोकप्रिय ब्रांड भी हैं जैसे Oppo, Oneplus, Realme और iQoo. चीनी कंपनी Xiaomi भारतीय बाजार की लीडर है. पिछले कुछ तिमाहियों में चीनी कंपनी विवो ने भी बहुत तेजी से भारतीय बाजार में अपनी पहुंच बढ़ाई है. वह सैमसंग को पीछे छोड़ दूसरा सबसे प्रमुख भारतीय ब्रांड बन चुकी है. इस साल की पहली तिमाही तक विवो की बाजार हिस्सेदारी बढ़कर 17 फीसदी तक पहुंच गई है.
लेकिन हाल में सीमा पर जारी तनाव की वजह से चीनी कंपनियों के खिलाफ माहौल बनने लगा है. पिछले महीने गलवान में हुई एक हिंसक झड़प में भारत के 20 जवान शहीद हो गए. इसके बाद से चीन के सामान के बायकॉट करने का अभियान सा चल पड़ा है. भारत सरकार ने भी चीनी आयात पर अंकुश लगाने के लिए कई कदम उठाए हैं. चीन के 59 ऐप पर प्रतिबंध लगा दिया गया है.