क्राइम ब्रांच की टीम ने पहली बार एक साथ 29 लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी और आईटी एक्ट के तहत केस दर्ज किया है। इसमें अधिकांश आरोपी यूपी के हैं। ये बदमाश बेव साइट्स पर नौकरी सर्च करने वाले लोगों से संपर्क करते थे। फिर उनसे बायोडाटा बुलवाकर उन्हें झांसा देते। कई शुल्कों के नाम पर रुपए जमा करवा लेते। कुछ बदमाश लोन के नाम पर भी लोगों को ठगते थे। अब इन सभी आरोपियों की तलाश की जा रही है।
क्राइम ब्रांच एएसपी राजेश दंडोतिया के अनुसार इंदौर शहर के आवेदक तपन कुमार, रंजू राठौर, धर्मेन्द्र लोखंडे, मोनिका खिलरानी, आरती राव, सुमित रायपुरीया, दीपक पवार, रजनीश कुमार और ललन शर्मा सहित कई लोगों के साथ जॉब के नाम पर हुई 43 लाख की धोखाधड़ी के मामले में बुधवार देर रात केस दर्ज किया गया है। इसमें पुलिस ने जांच के बाद 29 आऱोपियों के खिलाफ केस दर्ज किया है। इसमें अधिकांश ठगोरों के मोबाइल धारक औऱ खाता धारक हैं। हो सकता है कि ये असल आरोपी ना हों और इनके दस्तावेजों का उपयोग कर आरोपियों ने ठगी की हो।
पुलिस ने मामले में मोबाइल धारक अक्षय पिता बलराम जिंदल निवासी मानषकुंज पश्चिमी दिल्ली, संतोष कुमार सक्सेना निवासी आगापुर यूपी, एसबीआई अकाउंट धारक इंदरेश कुमार सिंह निवासी बुलंदशहर यूपी, राम करन निवासी अमेठी, अली अकबर निवासी कालका दिल्ली, पवन पिता जगदीश नोएडा, बैंक ऑफ इंडिया खाता धारक सुनील कुमार नोएडा, कालाचंद्र मैती मदनीपुर बंगाल, तमनजीत सिंह नार्थ दिल्ली, उत्तम पिपालिया सूरत, विकास शुक्ला सूरत सिटी गुजरात, शेख फेजल थाणे महाराष्ट्र, प्रकाश कांतीबाई, सजाद आलम बेगुसराय बिहार, खुशी राम मुरादाबाद यूपी, भावनीत सिंह पश्चिम दिल्ली, धीरज कुमार ठाकुर स्माइलपुर चौक, शुशांत कुमार साहो ओडिसा, कौशल कुमार उत्तर प्रदेश, लक्ष्मी नारायण बामोर मुरैना, अनुप मैनपुरी यूपी, विमला देवी किशन गंज सेन्ट्रर दिल्ली, अजीत सिंह गाजियाबाद यूपी सहित कई बैंक, पेटीएम और मोबाइल धारकों के खिलाफ केस दर्ज किए गए हैं।
एएसपी के अनुसार जांच में पाया कि अधिकांश लोगों ने ऑनलाइन जॉब सर्च करते समय shine.com, naukri.com जैसी विभिन्न वेबसाइट पर विजिट किया था। वहीं से ठगोरों ने इनके नंबर हथिया लिए। फिर उन्हें झांसे में लेने के लिए लगातार फोन औऱ मैसेज भेजने लगे। किसी को नौकरी दिलाने, किसी को लोन दिलाने के नाम पर झांसे में लिया। फिर अलग-अलग शुल्क जैसे रजिस्ट्रेशन, ऑनलाइन इंटरव्यू, फ़ाइल चार्ज, अकाउंट शुल्क आदि के नाम से पीड़ितों से 43 लाख रुपए से ज्यादा जमा करवा लिए। बाद में सभी ने नंबर बंद कर लिए औऱ फिर दूसरे लोगों से ठगी करने लगे।