देशभर में अभी इम्युनिटी को लेकर बहस चल रही है। अलग-अलग दावे किए जा रहे हैं। लेकिन मेडिकल साइंस की दृष्टि से देखा जाए तो इम्युनिटी बूस्टर जैसा कुछ नहीं होता है। हमारे शरीर में ही रोग प्रतिरोधक क्षमता इतनी सक्षम होती है कि वो बीमारी का मुकाबला कर सकती है। अक्सर लोगों में एंटीवायरल तत्वों और इम्युनिटी को लेकर भ्रम हो जाता है।
नीम और हल्दी में एंटी वायरल तत्व होते हैं। लेकिन कोविड के खिलाफ इनका उपचारात्मक पहलू साबित होना बाकी है। यहां तक कि अगर हल्दी का अत्यधिक मात्रा में सेवन किया जा रहा है, तो वो शरीर के लिए खतरनाक हो सकता है। इसके सेवन से ब्लीडिंग जैसी नौबत आ सकती है। शरीर को हमेशा डिफॉल्ट सेटिंग पर रखिए। यानी जैसा ईश्वर ने हमें बनाया है।
अच्छी नींद लीजिए, रेग्युलर एक्सरसाइज करिए और तनाव से दूरी बनाकर रखिए। आपको इम्युनिटी के लिए किसी और चीज की जरूरत नहीं पड़ेगी। सीएमसी वेल्लोर में क्लीनिकल इम्युनोलॉजी एंड रह्यूमेटोलॉजी के प्रोफेसर और फाउंडर से डॉ. देबाशीष दांडा बता रहे हैं इम्युनिटी का आराम करने से क्या कनेक्शन है-
कोरोना के हमले के समय शरीर में पहली चूक, इंटरफेरॉन्स से होती है। जब कोविड प्रोटीन के आवरण में शरीर में घुसता है तो शरीर उसे पहचान ही नहीं पाता, ऐसे में इंटरफेरॉन्स रिलीज ही नहीं हो पाते। यानी पहला सुरक्षा चक्र फेल हो जाता है। कोविड अपनी पकड़ बना लेता है। जब शरीर वायरस को पहचान लेता है, तब इम्युन सिस्टम ज्यादा सक्रिय हो जाता है। इसे हाइपरइम्युन रेस्पॉन्स कहते हैं। इसका अत्यधिक सक्रिय होना भी शरीर के लिए खतरनाक होता है। कोविड के गंभीर मामलों में यही स्थिति होती है। यह हाइपरइम्युनिटी शरीर के अंगों को ही नुकसान पहुंचाने लगती है। इलाज के समय डॉक्टर्स इस हाइपर इम्युनिटी को दवाओं से कम करने की कोशिश करते हैं।
अगर सिर्फ खाने या दवा से जोड़कर इम्युनिटी को देखा जाए तो वो गलत होगा। किसी भी बीमारी के खिलाफ शरीर का रेस्पॉन्स सिस्टम कई तत्वों पर निर्भर करता है। जैसे- आठ घंटे की नींद, पूरा आराम, संतुलित भोजन, तनाव से दूरी, रेगुलर एक्सरसाइज ये शरीर में इंटरफेरॉन्स को बनने में मदद करते हैं। इंटरफेरॉन्स एक तरह का तत्व होता है, जिसे हमारी कोशिकाएं उस स्थिति में रिलीज करती हैं, जब शरीर पर किसी वायरस का हमला होता है।
नीम और हल्दी में एंटी वायरल तत्व होते हैं। बंगाल में सदियों से लोग चिकन पॉक्स से बचने के लिए नीम को बैंगन के साथ खाते हैं। इसका मेडिकल प्रमाण नहीं है कि नीम चिकन पॉक्स से बचाता है। लेकिन यह इसमें मदद जरूर कर सकता है। वहीं हल्दी में एंटी वायरल-करक्युमिन नामक तत्व होता है। यह हल्दी में 3%होता है। इसका भी सिर्फ 10% शरीर सोख पाता है। अधिक मात्रा में हल्दी का सेवन किया जाए तो ब्लीडिंग हो सकती है।