कोरोना संदिग्ध मरीजों को क्वारेंटाइन सेंटर में आइसालेट किया जा रहा है। इसके लिए आरजीपीवी समेत शहर में पांच क्वारेंटाइन सेंटर बनाए गए हैं। कोरोना पॉजिटिव के सीधे संपर्क में आए लोगों के अलावा तमाम संदिगध मरीजों को यहां रखा जाता है। मरीजों को लाने के लिए तो प्रशासन की ओर से बस और एंबुलेंस लगाई जाती हैं, लेकिन, 10 दिन का आइसोलेशन पूरा होने पर मरीजों को यहां से छुट्टी देने पर मरीजों को घर तक पहुंचाने की सुविधा नहीं दी जा रही है।
ऐसे लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। आलम यह है कि कुछ लोगों को घंटों वाहनों का इंतजार करना पड़ता है तो कुछ लोग कई गुना ज्यादा किराया देकर निजी वाहनों से जाने को मजबूर हैं।
कोरोना सैंपल की जांच की गफलत जानलेवा साबित हो रही है। एक महिला को कोरोना संदिग्ध मानते हुए तीन घंटे के बीच दो बार सैंपल लिए गए। पहला सैंपल तो पॉजिटिव आया लेकिन, दूसरे सैंपल की रिपोर्ट निगेटिव आई। लेकिन, पांचवें दिन उनकी मौत हो गई। लखेरापुरा निवासी 52 वर्षीय फरीदा बेगम की 29 जुलाई को तबियत बिगड़ी तो परिजन कमला नेहरू गैस राहत अस्पताल लेकर पहुंचे। कोरोना जैसे लक्षण होने पर सुबह नौ बजे सैंपल लेकर चिरायु रैफर कर दिया। दोपहर में एक बजे चिरायु में सैंपल लिया और इलाज शुरू हो गया। फरीदा के डॉक्टर बेटे तारिक ने बताया कि कमला नेहरू में लिए गए सैंपल की रिपोर्ट पॉजिटिव आई और चिरायु के सैंपल की रिपोर्ट निगेटव आई। बावजूद इसके मां का इलाज चिरायु में किया जा रहा था। सोमवार दोपहर एक बजे मां की मौत हो गई, लेकिन चिरायु की ओर से इसकी सूचना नहीं दी गई। उनके परिचित डॉक्टर ने उन्हें फोन करके बताया। तब वे चिरायु पहुंचे।