मोबाइल के जरिए आपके हर मूवमेंट की जासूसी:दावा: 4.41 लाख दो और 1 लाख लोगों की लोकेशन का डेटा लो; क्या खाते हैं, कहां जाते हैं, आपसे जुड़ी हर जानकारी बिक रही है

(गौरव तिवारी) आपकी निजी जानकारियां कई विदेशी कंपनियों के पास पहुंच रही हैं। आपका नाम-पता, कारोबार, क्रेडिट-डेबिट कार्ड, पैन, आधार ही नहीं जैसी जानकारियां भी डेटा माफिया बेच रहा है। इससे यह पता चल जाता है कि आप किस एटीएम से पैसे निकाल रहे हैं, कहां जा रहे हैं, किस रेस्तरां में खाना खा रहे हैं, कहां से और किस कार्ड से खरीदारी कर रहे हैं। यानी एक-एक मिनट के मूवमेंट की लोकेशन भी बेची जा रही है। भास्कर के इन्वेस्टीगेशन में पता चला कि 6 हजार डॉलर (करीब 4.41 लाख रु.) चुकाने पर आपको एक लाख लोगों का डेटा मिल सकता है।


आपके मोबाइल में मौजूद कई मैप, डेटिंग ऐप, टैक्सी ऐप, गेमिंग ऐप, स्कैनिंग ऐप, मीटिंग ऐप, शेयरिंग ऐप आपकी परमिशन ये डेटा चोरी कर रहे हैं। जिस माफिया को ये बेचा जा रहा है वो सोशल मीडिया पर फेक आईडी बना रहे हैं। हैकर तो निजी जानकारियां लेकर फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन भी कर रहे हैं। आपकी रुचि के हिसाब से फर्जी विज्ञापन दिखाकर खाता खाली कर रहे हैं। भास्कर के स्टिंग ऑपरेशन में फ्रांस की कंपनी सैंपल देने को राजी हुई। इससे देशभर के 30 लाख और गुजरात के 5 लाख लोगों का डाटा मिला।


भास्कर ने 15 से ज्यादा लोकल और 8 विदेशी कंपनियों से संपर्क कर डाटा खरीदने की बात की। ये कंपनियां सिर्फ ऑनलाइन और वीडियो कॉल से ही संपर्क करती हैं। डाटा डिमांड के अनुरूप बनाकर दाे दिन में मिलता है। डाटा एक्सपर्ट की मदद से एक पासवर्ड से ही खुलता है। कुछ समयावधि में यह पासवर्ड खत्म हो जाता है।


कुछ परेशानियों के बाद फ्रांस की कंपनी सैंपल देने को राजी हुई। इससे देशभर के 30 लाख और गुजरात के 5 लाख लोगों का डाटा मिला। इसमें हर व्यक्ति के फोन ब्रांड/मॉडल, ऐप, इस्तेमाल हो रहा एंड्राॅयड वर्जन, सिम नंबर और मोबाइल सर्विस प्रोवाइडर का नाम शामिल है। इसके अलावा कुछ लोगों का लोकेशन डाटा भी दिया। इससे ज्यादा लोकेशन डाटा उन्होंने पेमेंट करने पर उपलब्ध कराने की बात कही।


लोकेशन डाटा का दो तरह से दुरुपयोग किया जाता है




  • क्रेडिट/डेबिट कार्ड नंबर, अकाउंट नंबर, पिन नंबर, आधार/पैन नंबर जैसा डेटा ग्रे मार्केट में महंगा पड़ता है, जबकि लोकेशन डाटा आधी से कम कीमत में उपलब्ध है। हैकर इससे भी आसानी से आपकी फाइनेंशियल जानकारी पता कर लेते हैं।

  • कंपनियां अपने ब्रांड्स बेचने के लिए लाेकेशन डेटा खरीदती हैं। इससे विरोधी से सस्ता प्रोडक्ट बनाकर सोशल मीडिया पर आपको टार्गेट करती हैं। अपने उत्पाद को खरीदने वाले ग्राहकों की पहचान करती हैं और मार्केटिंग स्ट्रेटजी बनाती हैं। आपके डीलर/सप्लायर तक पहुंच जाती हैं।

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